Saturday, November 19, 2011

कौटिल्य का अर्थशास्त्र-मद्यपान मनुष्य को पशु बना देता है

             शराब पीना एक ऐसा व्यसन है जिससे अनेक दोष पैदा हो जाते हैं। आजकल शादी तथा अन्य कार्यक्रमों पर शराब का फैशन आम हो गया है। अध्यात्मिक ज्ञान से परे समाज इसके दोषों को नहीं जानता। इससे जो मानसिक और शारीरिक विकार पैदा होते हैं इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। वैसे तो हमारे देश में मद्यपान प्राचीनकाल से प्रचलित रहा है पर इस तरह कभी समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग इसकी चपेट में रहा होगा यह कल्पना करना कठिन है। हमारे यहां पाश्चात्य सभ्यता के आगमन के साथ ही इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है। अंग्रेजी शराब और दवाओं के बीच फंसे भारत के अधिकतर लोग अध्यात्मिक ज्ञान के बिना यह नहीं जान सकते कि इस शरीर में ही वह तत्व मौजूद हैं जो कोई विकार नहीं आने देते और आ भी जायें तो उनका निवारण भी वही करते हैं। इसके लिये आवश्यक है कि योग विज्ञान का अध्ययन किया जाये
कौटिल्य का अर्थशास्त्र में कहा गया है कि
----------------
गमनं विह्वलत्बञ्व संज्ञानाशो विवस्त्रता।
असम्बंधप्रलापित्वकस्माद्वयसनं मुहुः।।
प्राणाग्लानि सहृदन्नाशः प्रजाश्रृतिमतिभ्रमः।
सद्धिर्वियोगोऽसद्धिश्व संगोऽनर्ष्टोन संगमः।।
स्खलनं वेपथुस्तन्द्र नितांतस्त्रीन्विेषणं।
इत्यादिपानव्यसनम्तयंतं सद्विगर्हितं।।
          ‘‘चलते और घूमते रहना, व्याकुलता,संज्ञानाश वस्त्ररहित होना, वृथा, बकवास या प्रलाप करना और अकस्मात् व्यसन में पड़ना’’
       ‘‘अपने मन में ग्लानि करना, मित्रों का नाश, बुद्धि, शास्त्र और मति में भ्रम होना, तत्पुरुषों से वियुक्त रहना, असत्पुरुषों की संगति करना, अनर्थो की संगत में पड़ना’’
         "पद
पद पर स्खलित होना, शरीर में कपंना होना, तन्द्रा तथा स्त्रियों के प्रति अत्यधिक आकर्षित होना, यह सब मद्यपान के व्यसन है। इनकी इसलिये निंदा की जाती है।
        अनेक लोग तो ऐसे हैं जो शराब पीना नहीं छोड़ना चाहते वह इससे उत्पन्न शारीरिक दोषों के निवारण के लिये ऐसे पदार्थों का सेवन करते है जो अधिक विषैले होते हैं। इससे जो मानसिक हानि होती हैं इसका आभास किसी को नहीं है। इतना ही नहीं जिस समाज को दिखाने के लिये वह शराब पीते हैं उसमें उनकी छवि कितनी खराब हो रही है यह भी नहीं जानते। हमारे अध्यात्म ग्रंथ इस बात की जानकारी देते हैं कि अंततः मद्यपान मनुष्य का मनुष्यत्व लीलकर उसे पशु बना देते हैं।
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels