Friday, December 25, 2009

मनुस्मृति-झूठ बोलने वाले को आठ गुना अधिक दंड दें (jhooth bolne vale ko saja-manu smruti)

 तुलामान प्रतीमान सर्व एव स्यात्सुरक्षितम्।

षट्स षट्स च मासेषु पुनेरव परीक्षयेत्।।

हिन्दी में भावार्थ
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शासन को चाहिये कि वह प्रत्येक छह महीने में तुला तथा तौल से जुड़ी अन्य वस्तुओं की जांच करवाये।

शुल्कस्थानं परिहन्नकाल क्रयविक्रयी।

मिथ्यावादी संस्थानैदाप्योऽष्टगुणमत्ययम्।।

हिन्दी में भावार्थ-
यदि कोई आदमी शुल्क की चोरी करता है, छिपा कर चोरी की वस्तुओं का व्यापार करता है अथवा मोल भाव करते हुए झूठ बोलने के साथ माप तौल में गड़बड़ी करता है तो उससे बचाऐ हुए धन का छह गुना और झूठ बोलकर बचाऐ हुए धन का आठ गुना दंड के रूप में लेना चाहिए।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय  व्याख्या-समाज में झूठ के आधार पर व्यापार करने वालों की कमी नहीं रही कम से कम मनुस्मृति पढ़ने से यह तो पता लग ही जाता है। हां, पहले सजा कड़ी होने के साथ ही राजकीय कर्मचारियों की तत्परता और प्रतिबद्धता के कारण आदमी अपराध करने से घबड़ाता था। आजकल यह भय खत्म हो गया है।  संविधान, राज्य और धर्म के प्रति राजकीय कर्मचारियों और अधिकारियों की ही नहीं समाज की भी प्रतिबद्धता सतही रह गयी है।  यही कारण है कि लोग सरेआम कम तौलने के साथ मिलावट भी कर रहे हैं।   यह खुलेआम हो रहा है और शासन ही क्या लोग खुद भी  सक्रिय होना तो दूर जागरुक तक नहीं है। उनके सामने सामान कम तुल रहा है, व्यापारी झूठ बोल रहा है और भाव में बेईमान की जा रही है पर वह कह नहीं पाता। सच बात तो यह है कि अगर आप वस्तुओं की उपलब्धता का पैमाना देखें तो यह महंगाई अर्थशास्त्र के मांग आपूर्ति के नियम की अपेक्षा जमाखोरी और कालाबाजारी से अधिक प्रेरित दिखती है।  अनेक लोग अपने यहां गैस सिलैंडर की तौल कम आने की आशंका जताते हैं पर उसे रोकने के लिये स्वयं कोई कदम नहीं उठाते।  दूध, घी तथा खाद्य पेय पदार्थों में मिलावट की बात सरेआम होती दिखती है पर उसे शासन तो तब रोके जब लोग स्वयं ही जागरूक हो। सभी इसी इंतजार में रहते हैं कि कोई दूसरा प्रयास करे और हम तो आराम से रहें।
भारतीय अध्यात्मिक ग्रंथों का ज्ञान लोगों को है नहीं और फिर समाज ने ऐसी व्यवस्था स्वयं ही बनायी है जिसमें चाहे भी जिस ढंग से धन संपदा अर्जित की जाये उस पर कोई सवाल नहीं करता बल्कि लोग सम्मान करते हैं। यही कारण है कि विश्व में अध्यात्मिक गुरु कहलाने वाला यह देश भ्रष्टाचार और अपराधों में भी सभी का गुरु बन गया है।  अगर इस अव्यवस्था से बचना है तो तो हर नागरिक को स्वयं आगे बढ़ना होगा।


 

संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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