Sunday, November 16, 2008

रहीम संदेशः दूध अगर कलारी में दिखे तो मदिरा जैसा लगता है

रहिमन नीचन संग बसि, लगत कलंक न काहि
दूध कलारी कर गहे, मद समझै सब ताहि

कविवर रहीम जी का कहना है कि निम्न प्रवृत्ति के लोगों के संगत करने पर कभी न कभी कलंकित होना तो तय ही है। दूध का बर्तन अगर कलारी में रखा हो तो भी उसे शराब ही समझा जाता है।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-मनुष्य अगर स्वयं सज्जन है तो उसे दुष्ट लोगों की संगत से बचना चाहिये-यह तय बात है कि एक मनुष्य के व्यवहार,विचार, और कार्य को दूसरे पर भी प्रभाव होता है। जहां तक दुर्गुणी, दुष्ट और दुव्र्यसनी लोगों को सवाल है उनके लिये यह माया ही संसार है और भक्ति, भलाई, और भावुकता एकदम बकवास है। वह दूसरों को भी ऐसा करने को उकसाते हैं।
अधिकतर मामलों में आपने यह सुना तो होगा कि अमुक व्यक्ति दूसरे की संगत में बिगड़ गया और पर यह नहीं सुना होगा कि वह सुधर गया। कई बार अपराधियों के मां बाप अपने बच्चोंे की तरफ से सफाई देते हैं कि ‘हमारा बच्चा तो ठीक है पर दूसरे की संगत में बिगड़ गया, पर जो उपलब्धियों के शिखर पर पहुचंते हैं उनके मां बाप यह नहीं कहते कि दूसरे की संगत में बन गया।
तय बात है कि संगत का प्रभाव होता है-अच्छा भी बुरा भी-यह अलग बात है कि अच्छी संगत को लोग आकर्षक नहीं मानते बल्कि ऐसे लोगों के साथ संगत करने से प्रसन्न होते हैं जो दलाल या दादा टाईप के हों। एक बात बजे की बात है कि ऐसे लोगों की छबि उनकी नजरों के अच्छी नहीं होती और उनके मित्रों को भी वह ऐसे ही देखते हैं-अगर ऐसे लोग उनके मित्र नहीं हुए तो। जब स्वयं दलाल और दादा टाईप के लोगों से दोस्ती करते हैं तब यह बात भूल जाते हैं।
जिन अंतविरोधों में सभी रह रहे हैं उनको देखना चाहिये पर यह बात संशयरहित है कि दुष्ट की संगत से कभी न कभी अपने लिये संकट का कारण बनती है। यदि संकट का कारण न बने तो भी समाज में दुष्ट के कारण सज्जन की छबि भी खराब होती ही है।
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